sidh kunjika No Further a Mystery
sidh kunjika No Further a Mystery
Blog Article
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर here मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में मां दुर्गा की नौ देवियां और दस महाविद्या का वर्णन है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि